युवाओं में हार्ट अटैक क्यों बढ़ रहे हैं?
जब दिल उम्र से पहले ही हार मानने लगे
क्या आप जानते हैं कि 10-25 साल के युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं? कुछ साल पहले तक दिल का दौरा सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी मानी जाती थी, लेकिन अब कम उम्र के बच्चे और किशोर भी इसका शिकार हो रहे हैं।
📌 हाल ही में घटी चौंकाने वाली घटनाएँ:
- गुजरात में एक 15 साल की बच्ची परीक्षा हॉल में प्रवेश करते ही कार्डियक अरेस्ट का शिकार हो गई।
- कानपुर में क्रिकेट खेलते समय 10वीं की छात्रा को अचानक हार्ट अटैक आ गया और उसकी मृत्यु हो गई।
- फिरोजाबाद में एक दूसरी कक्षा का छात्र दिल का दौरा पड़ने से चल बसा।
ये घटनाएँ केवल कुछ उदाहरण हैं। भारत में हर साल लगभग 5-6 लाख लोग हार्ट अटैक के कारण मरते हैं, जिनमें 70-80% पीड़ित 10-25 साल के युवा हार्ट अटैक के कारन मरते हैं।
आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या हमारी जीवनशैली और खानपान इसके लिए ज़िम्मेदार हैं? चलिए, जानते हैं इस समस्या के पीछे के कारण और बचाव के उपाय।
युवाओं में हार्ट अटैक के प्रमुख कारण
1. अनहेल्दी डाइट और जंक फूड की लत
आजकल युवा और बच्चे फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड पर निर्भर हो गए हैं। ये खाने स्वादिष्ट तो होते हैं, लेकिन स्वास्थ्य के लिए ज़हर हैं।
⚠ फास्ट फूड में मौजूद नुकसानदायक तत्व:
✔ ट्रांस फैट – धमनियों (आर्टरीज) में कोलेस्ट्रॉल जमा करता है, जिससे ब्लॉकेज होती है।
✔ अधिक नमक और चीनी – हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और डायबिटीज को जन्म देता है।
✔एक अध्ययन के अनुसार, ट्रांस फैट की अधिक मात्रा हार्ट अटैक का खतरा 23% तक बढ़ा सकती है।
2. शारीरिक गतिविधि की कमी
आज की डिजिटल दुनिया में बच्चे और युवा घंटों मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं। खेलकूद और फिजिकल एक्टिविटी कम होने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
❌ बैठे रहने की आदत से क्या नुकसान होता है?
- मोटापा और खराब मेटाबॉलिज्म
- कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर में वृद्धि
- डायबिटीज और हार्ट डिजीज का खतरा
🔎 WHO के अनुसार, जो लोग दिनभर बैठे रहते हैं, उनमें हार्ट डिजीज का खतरा 30% अधिक होता है।
3. कोविड-19 का प्रभाव
हाल ही में हुए कई शोध बताते हैं कि जो लोग कोविड से संक्रमित हुए थे, उनमें हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा दोगुना हो गया है।
➡ कोविड-19 के कारण:
- हार्ट मसल्स में सूजन (Myocarditis) आ सकती है।
- ब्लड क्लॉटिंग की समस्या बढ़ जाती है।
- ऑक्सीजन की कमी से दिल पर दबाव बढ़ता है।
4. अत्यधिक मानसिक तनाव
आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में हर दूसरा युवा क्रॉनिक स्ट्रेस (लंबे समय तक तनाव) से जूझ रहा है। अत्यधिक तनाव शरीर में कार्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे हार्मोन बढ़ा देता है, जो धमनियों को नुकसान पहुँचाकर हार्ट अटैक की संभावना बढ़ाते हैं।
AIIMS की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर तीसरा युवा तनाव और चिंता का शिकार है।
TV/MOBILE का बच्चो पे क्या असर डालता है ?
युवाओं को हार्ट अटैक से कैसे बचाएँ
1. स्वस्थ आहार अपनाएँ
✅ जंक फूड और पैकेज्ड फूड से दूरी बनाएँ।
✅ हरी सब्जियाँ, फल, नट्स और घर का बना खाना खाएँ।
✅ ज्यादा से ज्यादा पानी पिएँ और सॉफ्ट ड्रिंक्स से बचें।
2. शारीरिक गतिविधि को प्राथमिकता दें
✅ बच्चों को रोज़ाना 1 घंटे की फिजिकल एक्टिविटी करने के लिए प्रेरित करें।
✅ स्कूल और घर में आउटडोर गेम्स को बढ़ावा दें।
✅ स्क्रीन टाइम को सीमित करें और सोने से पहले मोबाइल का उपयोग न करें।
3. तनाव को करें मैनेज
✅ नियमित योग और मेडिटेशन करें।
✅ क्रॉनिक स्ट्रेस को दूर करने के लिए परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएँ।
✅ पर्याप्त नींद लें और वर्क-लाइफ बैलेंस बनाएँ।
कौन-कौन से लक्षण खतरनाक हैं?
अगर किसी भी युवा या बच्चे में ये लक्षण दिखें, तो इसे नज़रअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
⚠ खतरनाक संकेत:
❗ सीने में दर्द या भारीपन महसूस होना।
❗ सांस लेने में तकलीफ।
❗ हल्की फिजिकल एक्टिविटी के बाद बेहोशी आना।
❗ त्वचा का रंग पीला या नीला पड़ना।
❗ लंबे समय तक थकान और सुस्ती रहना।
अपने दिल को बचाएँ, अपनी ज़िंदगी को बचाएँ
युवाओं में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए हमें खानपान, जीवनशैली और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा। छोटे-छोटे बदलाव हमें और हमारे बच्चों को इस गंभीर बीमारी से बचा सकते हैं।
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