DARK WEB क्या है और यह कैसे काम करता है ?
सोचो इंटरनेट का एक ऐसा हिस्सा जो गूगल पे सर्च नहीं होता वो एक ऐसी जगह है जहाँ आप कौन हो कहा से हो उसका कोई पता नहीं लगा सकता वहाँ ड्रग्स बिकते हैं हत्यारों की डील होती हैं और वो भी बिना किसी ट्रेस के डार्क वेब इंटरनेट का वो हिस्सा जो लोगों को एक मिथ लगता है पर असलियत में वो एक रियालिटी है क्या वो सच में सिर्फ क्रिमिनल्स का एक अड्डा है और क्या वहाँ हैकिंग, ड्रग्स और इवन हिटमैन हायर की जा सकता है?
चलो एक रूह कप कपा देने वाली जर्नी पर चलते हैं डार्क वेब के अंधेरो में | चलो शुरू करें सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि जो इंटरनेट तुम रोज यूज़ करते हो वो सिर्फ आइस बर का टिप है इसे हम सर्फिस वेब कहते हैं जिसमें गूगल, फेसबूक, विकीपीडिया जैसे प्लाटफॉर्म्स आते हैं पर ये सिर्फ 5% है पूरे इंटरनेट का जो बाकी का 95% है उसे डीप वेब और डार्क वेब कहते हैं|
Deep Web इंटरनेट के उस हिस्से को कहते हैं जिसमें बैंक एकाउंट्स, प्राइवेट इमेल्स, मेडिकल रिकार्ड्स और इस तरह का सेंसेटिव डाटा स्टोर होता है जो Google पे नहीं दिखाई देता डीप वेब बिल्कुल नार्मल है बस इसको आप सर्च नहीं कर सकते |
लेकिन Deep Web का एक अंधेरा हिस्सा है Dark Web | Dark Web सिर्फ Tor Browser या Special Software के द्वारा एक्स्सेस होता है |TOR का फुल फॉर्म है दा अनियन राउटर और ये मल्टिबल लेयर से सिक्योर होता है जिससे कोई ट्रैक नहीं कर सकता कि तुम कौन हो, कहां हो और क्या देख रहे हो ये एक पूरा एनोनिमस जोन है इसलिए यहां लीगल और इलीगल दोनों चीज़े होती हैं पर जो चीज़े यहां मिलती है ना वो साइंस फिक्शन जैसी लगती हैं DARK WEB पर एक टाइम पर सिल्क रोड नाम का एक मार्केट प्लेस था जो एमेज़न की तरह ही था पर वो ड्रग्स बेचता था उसका फाउंडर रॉस उल्बेच एक मास्टर माइन था जो अपने प्लैटफॉर्म से हर तरह का इललीगल काम करवा रहा था |
फेक पासपोर्ट से लेके कॉंट्रैक्ट मर्डर्स तक सब कुछ। 2013 में FBI ने उसे पकड़ा और आज वो उम्र कैद की सजा काट रहा है। पर ये भी कहानी का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है। डार्क वेब के अंदर हैकिंग टूल्स, चुराये हुए केडिट कार्ड्स, फेक आइडेंटिटीज, यहाँ तक कि ह्यूमन ट्राफिकिंग तक होती है। कहा जाता है कि यहाँ रेड रूम्स भी होते हैं।
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